दुर्गा पूजा भारत के सबसे बड़े और भव्य त्योहारों में से एक है। यह शारदीय नवरात्र के दौरान मनाई जाती है, लेकिन आपने देखा होगा कि इसकी तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इसके पीछे गहरा ज्योतिषीय और पंचांग संबंधी कारण है।
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पंचांग और चंद्र मास का प्रभाव
दुर्गा पूजा की तिथियां हिंदू चंद्र पंचांग के आधार पर तय होती हैं, न कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार। यह त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होकर दशमी तक चलता है।
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अगर अधिमास (अधिक माह) या क्षय मास आता है, तो तिथियों में बदलाव हो सकता है।
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पंचांग में तिथि का प्रारंभ और समाप्ति सूर्योदय से पहले और बाद के समय पर आधारित होता है।
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दुर्गा पूजा की तिथियों के पीछे ज्योतिष: हर साल क्यों बदलती हैं – कारण
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चंद्र और सूर्य की स्थिति – नवरात्र का आरंभ चंद्रमा की गति पर निर्भर करता है।
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अमावस्या और पूर्णिमा का चक्र – इनका सीधा प्रभाव पूजा के आरंभ व समापन पर होता है।
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अधिमास का आगमन – जब एक चंद्र मास में दो अमावस्या या पूर्णिमा आती है, तो तिथियां बदल जाती हैं।
निष्कर्ष
दुर्गा पूजा की तिथियों में हर साल का बदलाव कोई संयोग नहीं, बल्कि खगोलीय गणना और ज्योतिषीय सिद्धांत का परिणाम है। यदि आप जानना चाहते हैं कि इस वर्ष कौन सी तिथियां आपके लिए सबसे शुभ होंगी, तो हमारी वेबसाइट पर नवरात्र और दुर्गा पूजा विशेष लेख पढ़ें और ज्योतिषीय परामर्श लें।