जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व
भारतीय परंपरा में जीवित्पुत्रिका व्रत माताओं द्वारा संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस व्रत में विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा की उपासना का विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य और चंद्र ग्रह मानव जीवन और संतान के भविष्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
Why Moon & Sun Play an Important Role in Jivitputrika Vrat According to Astrology
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सूर्य (Sun): सूर्य आत्मा, जीवन ऊर्जा और आयु का प्रतीक है। यह पिता और वंश की परंपरा से जुड़ा ग्रह है। जीवित्पुत्रिका व्रत में सूर्य की उपासना से संतान को जीवन शक्ति और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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चंद्र (Moon): चंद्र मन, भावनाएँ और मातृत्व का प्रतिनिधि है। यह माँ और संतान के बीच के गहरे संबंध को दर्शाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत में चंद्रमा की पूजा करने से संतान को मानसिक स्थिरता, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
Why Moon & Sun Play an Important Role in Jivitputrika Vrat According to Astrology: आध्यात्मिक दृष्टि से
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सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा से मातृत्व और संतति संबंध मजबूत होते हैं।
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ज्योतिष में सूर्य-चंद्र को जीवन संतुलन का आधार माना जाता है।
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इस व्रत में दोनों की उपासना करने से कर्म शुद्धि और संतान रक्षण सुनिश्चित होता है।
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जीवित्पुत्रिका व्रत और ज्योतिषीय लाभ
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संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि
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पारिवारिक शांति और सुख-समृद्धि
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नकारात्मक ग्रह दोषों का शमन
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माता और संतान के बीच आत्मिक बंधन की मजबूती
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जीवित्पुत्रिका व्रत और इसकी परंपराओं के बारे में अधिक जानकारी हेतु यहाँ पढ़ें: Jivitputrika Vrat Significance
निष्कर्ष
Why Moon & Sun Play an Important Role in Jivitputrika Vrat According to Astrology यह प्रश्न केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सूर्य और चंद्रमा की उपासना से संतान सुख, दीर्घायु और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।