जन्माष्टमी का उत्सव आधी रात को क्यों मनाया जाता है?

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र में, आधी रात के समय हुआ था। यही कारण है कि जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में आधी रात को बड़े भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। लेकिन इसके पीछे केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तर्क भी मौजूद हैं।

जन्माष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानें

आधी रात को जन्माष्टमी मनाने के वैज्ञानिक कारण

  1. प्राकृतिक ऊर्जा का चरम स्तर – रात का समय, विशेषकर मध्यरात्रि, वातावरण में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का समय माना जाता है।

  2. ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति – रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का प्रभाव शांत और सौम्य ऊर्जा प्रदान करता है।

  3. पर्यावरणीय परिस्थितियाँ – रात के समय तापमान कम और वातावरण शांत होने से ध्यान और पूजा में एकाग्रता बढ़ती है।

अपनी कुंडली के अनुसार जन्माष्टमी पर शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानने के लिए संपर्क करें – आचार्य शरद स्वरूप जी (मो.) +91-9818359075
कुंडली विश्लेषण के लिए पंडित जी से संपर्क करें

जन्माष्टमी का उत्सव आधी रात को क्यों मनाया जाता है? आध्यात्मिक दृष्टिकोण

निष्कर्ष

जन्माष्टमी का मध्यरात्रि उत्सव केवल परंपरा नहीं, बल्कि वैज्ञानिक ऊर्जा और आध्यात्मिक संदेश का अद्भुत संगम है। यदि आप जानना चाहते हैं कि इस जन्माष्टमी आपके लिए कौन से उपाय और मुहूर्त विशेष लाभदायक होंगे, तो हमारी वेबसाइट पर जन्माष्टमी विशेष लेख पढ़ें और ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Call Now Button