गणेशोत्सव का समापन गणेश विसर्जन से होता है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि गहरे ज्योतिषीय और आध्यात्मिक अर्थ भी रखती है।
गणेश जी को “विघ्नहर्ता” माना जाता है और उन्हें हर शुभ कार्य का प्रथम देवता माना गया है। जब हम गणपति की मूर्ति को घर या पंडाल में स्थापित करते हैं, तो यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नए आरंभ का प्रतीक होती है। विसर्जन के समय हम यह मान्यता रखते हैं कि भगवान गणेश अपनी शक्ति को पुनः ब्रह्मांड में विलीन कर देते हैं और हमें अगले वर्ष और अधिक शक्ति प्रदान करते हैं।
गणेश विसर्जन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
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अनित्य का संदेश – विसर्जन हमें सिखाता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है।
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ऊर्जा का प्रवाह – मूर्ति का जल में विसर्जन सकारात्मक ऊर्जा को पुनः प्रकृति में मिलाता है।
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नवीन शुरुआत – यह अगले वर्ष एक नए चक्र और नए आरंभ का प्रतीक है।
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ज्योतिषीय दृष्टि से – गणेश विसर्जन के समय सूर्य और चंद्र की स्थिति विशेष प्रभाव डालती है। यह समय व्यक्ति की कुंडली में मानसिक शांति और विघ्नों से मुक्ति का संकेत देता है।
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Why We Perform Ganesh Visarjan and Its Astrological Meaning: त्योहार और ज्योतिष
त्योहारों के समय यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी बेहद खास होती है।
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कुंडली में विघ्न दोष हो तो गणेश पूजन और विसर्जन अत्यंत शुभ माना जाता है।
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यह समय व्यक्ति के करियर, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है।
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यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्र–ग्रहण दोष या राहु–केतु की बाधा हो तो गणेश विसर्जन के अवसर पर विशेष पूजा लाभकारी होती है।
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निष्कर्ष
Why We Perform Ganesh Visarjan and Its Astrological Meaning केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि गहरा जीवन दर्शन और ज्योतिषीय रहस्य छुपाए हुए है। यह हमें जीवन में अस्थायीता, सकारात्मक ऊर्जा और नवसृजन का संदेश देता है।
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